10.10.09

जख़्मोका बाझार लगा है, कल जायेंगे
दर्दोंके अपने सब सिक्के चल जायेंगे

बेलब्झों होठों पर हल्केसे लब रख दो
खा़मोशी के ख़तरे आधे टल जायेंगे

बरसेंगे हम पे गर बादल तनहाई के
अरमानो के जंगल सारे जल जायेंगे

सपनोको कांधे पर कब तक ढोते जाओ
पलकों के पीछे वो मेरी, पल जायेंगे

सांसोका हंगामा चुप है, अब क्या बोले ?
हम भी यारों चुपके चुपके ढल जायेंगे

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