बरसों बीते कुछ तो कहो
तनहाई हे कुछ तो कहो
लंबी चौडी बातें क्युं
दो लब्झोमें कुछ तो कहो
थर्राये कबसे कलियां
अब होठों से कुछ तो कहो
दुनीयाकी परवा ना कर
यार हमीं से कुछ तो कहो
में बैठा कबसे दर पे
ईस बारेमें कुछ तो कहो
फिरते जो हेवान बने
ईन्सानो से कुछतो कहो
खामोशी के आलमसे
चलते चलते कुछ तो कहो
1.11.08
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