19.11.08

कुछ दर्द मिले, और ग़म ही मिले
जीनेको युहीं मरहम ही मिले

किस्मतमे हमारी कांटे क्युं
फुलोकी जगह हरदम ही मिले

ख्वाबोमें मिले अक़सर जीनको
सच पूछो तो हम से क़म ही मिले

माना की तुम्हे, सुननीथी ख़नक
दिल तोडनेको, क्युं हम ही मिले ?

मिलना ही था अगले मौसममें
बदले ना वही, मौसम ही मिले

हम सात सूरों के बीच बसे
जीस छोर चलो, मध्धम ही मिले

मालुम न था, मशहुर थे हम
जो कब्रसे गुझरे, नम ही मिले

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