मयखानेसे सीखी बातें जीनेकी
वो क्या देगा आज सझा ए पीनेकी
चूपकेसे ही पीता हुं में सदियोसे
चूपकेसे अब आदत हो गई गिरनेकी
दिवारोपे शीशा रखना छोड दीया
रहेती है हैरानी खुदसे गिरनेकी
हमने रखें झख्मोको इन उंगलीपे
उनको फुरसत मिलती है ना गिननेकी
फुसला कर के रखा है कुछ सांसोको
उम्मीदें है अब भी उन्से मिलनेकी
वो क्या देगा आज सझा ए पीनेकी
चूपकेसे ही पीता हुं में सदियोसे
चूपकेसे अब आदत हो गई गिरनेकी
दिवारोपे शीशा रखना छोड दीया
रहेती है हैरानी खुदसे गिरनेकी
हमने रखें झख्मोको इन उंगलीपे
उनको फुरसत मिलती है ना गिननेकी
फुसला कर के रखा है कुछ सांसोको
उम्मीदें है अब भी उन्से मिलनेकी
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