10.9.08

दिलकी महेफील जमी है की कब आओगे
आपकी ही कमी है की कब आओगे

ना बीछाई जो फुलोंकी चादर तो क्या
आसुंओकी नमी है की कब आओगे

था बहाना, न मीलनेका, बारीश अगर
अब तो वो भी थमी है की कब आओगे

दिलभी धडका है, चहेका पपीहा उधर
रात भी शबनमी है की कब आओगे

लूट लेगी ये दुनिया ये महेलो तख़त
बाकी दो गझ झमीं है की कब आओगे

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