अपने हाथोंकी लकीरोंको भुलाकर देखो
जिक्र मेरा ही नहीं, फिरभी बुलाकर देखो
अश्क आखोंमे कंहा, रेतका सागर है भरा
सिर्फ आंधी ही उठेगी कि रुलाकर देखो
गुनगुनाएंगे तेरे ख्वाबमें अक़्सर नगमे
अपनी भीगी हुई पलकोंपे सुलाकर देखो
खुदकी तनहाईयां शागिर्दे सफर होती है
अपने बिस्तरपे कभी उनको सुलाकर देखो
कब तलक चांदसे उम्मीद लगाए रखो
ये बदन रोशनी जुगनुमे धुला कर देखो
17.9.08
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खुदकी तनहाईयां शागिर्दे सफर होती है
अपने बिस्तरपे कभी उनको सुलाकर देखो
गुनगुनाएंगे तेरे ख्वाबमें अक़्सर नगमे
अपनी भीगी हुई पलकोंपे सुलाकर देखो
superb...amazing...
अपने हाथोंकी लकीरोंको भुलाकर देखो
जिक्र मेरा ही नहीं, फिरभी बुलाकर देखो
अश्क आखोंमे कंहा, रेतका सागर है भरा
सिर्फ आंधी ही उठेगी कि रुलाकर देखो
गुनगुनाएंगे तेरे ख्वाबमें अक़्सर नगमे
अपनी भीगी हुई पलकोंपे सुलाकर देखो
खुदकी तनहाईयां शागिर्दे सफर होती है
अपने बिस्तरपे कभी उनको सुलाकर देखो
कब तलक चांदसे उम्मीद लगाए रखो
ये बदन रोशनी जुगनुमे धुला कर देखो
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