18.6.10

अब तो गोया ये मुक्कदरभी दगा देता है
दोनो हाथोंमें लीखी मौत कहां देता है

युं तो जागे ही रहे नींदके दौरां अकसर
मेरे ख्वाबोंमें कोई शख्स सदा देता है

हम जो पैदा हुए, मानो ये गुन्हा हमने कीया
कीतने सालोंसे वो जीनेकी सज़ा देता है
हाले दिल पूछता कोई भी नही है मेरा
दर्द जाने बीना हर कोई दवा देता है

मर भी जाता है कहां अपनी खुशीसे कोई
जीनको जीतनी हो ज़रूरत तुं हवा देता है

चाहे कीतनी भी बडी शख्सीयत होगी फीरभी
ये जहां वैसेभी दो गज़ ही जगा देती है

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