25.6.10

लफ्झ बन के तेरे, छु लुं लबको
रोज करता हुं दुआ ये रबको

वाकया में समज रहा खुफिया
वो पता था, यहां वहां, सबको

में सितारा हुं ढल चुका कबका
बात सुरजकी पूछ पूरबको

हाथमें तेरे है, इतना काफी
अब कहां फुल जरूरी छबको

मार डाले अदासे कीतनी दफा
कोई सीखे तेरे ये करतबको

1 comment:

sanu shukla said...

bahut sundar bhav ...