कली कली सहम गई
गली गली उदास क्यों
अभी अभी मिली खबर
हंसे नहीं है आज वो
थके हुए थे राह पे
कहा की हाथ थाम लो
मिले वो, फीरभी चल दीये
न दोस्त आये कामको
झुकाया सर मझार पे
पढा़ किये कुरान को
अझां से भी न कुछ हुआ
कोइ तो हमको दाद दो
सिला मिला है आज ये
अगर कोइ दुआ करो
लहु जिगरको डालके
खुदाको फीर पुकारलो.....
गली गली उदास क्यों
अभी अभी मिली खबर
हंसे नहीं है आज वो
थके हुए थे राह पे
कहा की हाथ थाम लो
मिले वो, फीरभी चल दीये
न दोस्त आये कामको
झुकाया सर मझार पे
पढा़ किये कुरान को
अझां से भी न कुछ हुआ
कोइ तो हमको दाद दो
सिला मिला है आज ये
अगर कोइ दुआ करो
लहु जिगरको डालके
खुदाको फीर पुकारलो.....