29.6.10

अब तो थोडी जगाह ही काफी है
जीतनी ये जींदगानी बाकी है

कहकहे बात पुरानी अब तो
आह अब जो भी भरुं आधी है

प्यार तो युं ही एक बहाना है
तुमसे हारी हुई ये बाझी है

तुं डूबादे या पार कर साकी
मैकदेमें तुं ही तो माझी है

कोई साथी ना कोई संगी है
कब्र भी एक नई कहानी है

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया.