9.1.08




फीर वोही बात पे रोया करे तुं
सिर्फ कांटे ही क्युं बोया करे तुं

ख्वाब देखें अगर दिनमें भला फीर
ख़ामख़ां रातको सोया करे तुं

देख हमको ज़्ररा पलकें उठाकर
अश्क़ कबतक युहीं ढोया करे तुं

झगमगाता है जब चहेराए दिलबर
ज़िक्र क्युं चांदका गोया करे तुं

तुं ईबादत है खु़द, खु़द ही वजु है
हाथ क्युं बेवजह धोया करे तुं

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