5.2.08


चंद आहें, सिसकीयां थोडी भरो
रात युं कट जायेगी काहे डरो

काश जुगनूकी तराह हम कहे सके
दिल जले है हम, दुआ ऎसी करो

जख़्मने करली नमकसे दोस्ती
अब कोइ चारा नहीं चारागरो

आयना सब कुछ कहे, मेरे सिवा
खेल ऎसा कुछ करो बाझीगरो

आखरी ये जाम है यारो मेरा
अब सम्हलना है, मेरी बाहें धरो

charagar=doctor

3 comments:

વિવેક said...

जख़्मने करली नमकसे दोस्ती
अब कोइ चारा नहीं चारागरो

- માશાઅલ્લાહ... ખૂબ કહી...

વિવેક said...

છેલ્લી બે પોસ્ટમાં કૉમેંટ્સ થઈ શકતી નથી...

neetnavshabda.blogspot.com said...

નમકસે દોસ્તી..ક્યા બાત હૈ..