तेरे ग़ममे अभी भी है वो दम
मरने वाले कहां तुज़पे है कम
झुर्म ढाता है शीशा ये अक़सर
जैसे रूठा हुआ है वो हमदम
ये नझर क्युं झुकीसी है मेरी
बोज भारी था, है आंख भी नम
ज़ीक्र कैसे करुं यारो उनका
नींदमें हम थे,ख्वाबो में भी हम
ज़ख्म इतने है दिलमें हमारे
उसका जल जाना ही बस है मरहम
मरने वाले कहां तुज़पे है कम
झुर्म ढाता है शीशा ये अक़सर
जैसे रूठा हुआ है वो हमदम
ये नझर क्युं झुकीसी है मेरी
बोज भारी था, है आंख भी नम
ज़ीक्र कैसे करुं यारो उनका
नींदमें हम थे,ख्वाबो में भी हम
ज़ख्म इतने है दिलमें हमारे
उसका जल जाना ही बस है मरहम
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