29.12.07


ये सांसो का होना कहां तक चलेगा
युं ही आना जाना कहां तक चलेगा

बुरे ही सही ख्वाब देखेंगे लेकीन
पलक ना झपकना, कहां तक चलेगा

कभी बात हमसे भी करले ओ जा़लिम
युं ही मुस्काराना कहां तक चलेगा

कटी रात सारी, अभी जाम भर दो
नझ़र से पिलाना कहां तक चलेगा

चलो आझमाये नया कोई आलम
यही एक ठिकाना कहां तक चलेगा

ज़रा मूडके देखो, है कितने दिवाने
हमे याद रखना कहां तक चलेगा

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