4.7.10

चलो नया कुछ कीया करे
हम आंधीयोमें दिया करे

हवा, सुनहरी किरन, फ़िझां
मिलाके सब आशियां करे

जो ख्वाहीशें पुरी ही न हो
उन्हीमें क्युं कर, जीया करे

ज़्खम भी है, वो भी आयेंगे
दवा भी उस दरमियां करे

पिलाके सबको युं रात भर
बची सहर, वो पीया करें

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