कसमें खाने के सिवा कुछभी नही करते है
जाने क्युं लोग झमानेसे भला डरते है
गर वो कांटा मुझे समझे भी तो, परवा ही नहीं
क़म से क़म, दिलके क़रीब आके उन्हे चूभते है
होते मस्जिदमें नहीं रूबरू हर दिन मौला
महेफिलें खासमें अक़सर वो मुझे मिलते है
तेरी यादोंमे ना मरनेको, पीया करते है
जैसे जीनेके लिये सांसोको हम भरतें है
फर्क ईतना हे की, तादात बडी आज हुई
वरना घुट घुटके अकेलेमें सदा मरते है
जाने क्युं लोग झमानेसे भला डरते है
गर वो कांटा मुझे समझे भी तो, परवा ही नहीं
क़म से क़म, दिलके क़रीब आके उन्हे चूभते है
होते मस्जिदमें नहीं रूबरू हर दिन मौला
महेफिलें खासमें अक़सर वो मुझे मिलते है
तेरी यादोंमे ना मरनेको, पीया करते है
जैसे जीनेके लिये सांसोको हम भरतें है
फर्क ईतना हे की, तादात बडी आज हुई
वरना घुट घुटके अकेलेमें सदा मरते है
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