4.7.10

सब्रकी देनी अगर मिसाल है
ज़ीदगी मेरी ही बेमिसाल है

वकतकी गिरफ्तमें जो आ गया
आदमी लगता बहुत कंगाल है

ख्वाहीशें हावी हो जब औकातपे
हर कदम पर मानलो भूचाल है

बंदगी, कुछभी नहीं, अल्लाहका
सिर्फ फैलासा हुआ एक जाल है

क्या बताओगे खुदाको मुंह, अगर
आयने के सामने ये हाल है

देख मेरी कब्रको, अय ज़ीदगी
मौतका तोहफा बडा, कम्माल है

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