10.2.12

लो आज दम तोड दें हंसते हंसते
कभी तो बदलदे पुराने शिरस्ते

पडा नींदसे ऊठ जाना ही महेंगा
हमे ख्वाब वरना मिले खुब सस्ते

तुम्हे क्या पता, सब तुम्हे जानते है
हमे छोडने आये तुम तक ये रस्ते

सिकंदर है हम, प्यारके बादशा’ है
मुझे क्या पता चीज है क्या शिकस्तें

सरक ही लीये ज़िंदगीसे मुसाफीर
मगर मोतकी जालमें सब हे फसतें
डो. नाणावटी १०-२-१२

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